गर्मियों के दिनों में बाजार में मौजूद तमाम तरह के सौन्दर्य प्रशाधन अगर आपकी त्वचा की सही से देखा भाल नही कर परहे है तो हाजिर है कुछ प्रसिद्ध घरेलु नुस्खे जो आप की त्वचा की देख भाल तो करेंगे ही साथ में सौन्दर्य प्रशाधन पर फालतू खर्च होने वाले आप के बहुमूल्य पैसे की बचत भी करेंगे, तो आप नि:संकोच इन घरेलू नुस्खों को अपना सकते है इनका कोई विपरीत प्रभाव (साइडइफेक्ट) भी आप की त्वचा के ऊपर नही पड़ता है .
आपके घर में मौजूद गुलाब जल, नींबू, खीरा और दही न सिर्फ आपकी त्वचा को तरो-ताजा रखेंगे बल्कि गर्मियों के दिनों में सूर्य की पारा बैगनी किरणों से होने वाले दुष्प्रभावों से भी बचायेंगे।
नेचुरल सनस्क्रीन को बाज़ार से खरीदने अच्छा है की आप घर में रखी चाय की पत्तियों को पानी में उबाल ले और उबले हुए पानी को ठंडा करके इस्तेमाल कर सकती है।यह आपको गर्मियों के दिनों में घर से बाहर निकलने पर आपकी त्वचा को सूर्य की किरणों से जलने से बचाने के साथ ही साथ आपके चेहरे के मेकअप को भी चुस्त दुरुस्त रखता है।
एक चमच सौफ को पानी मे अच्छी तरह उबालें। जब पाने गाढा हो जाए तो उतनी मात्रा मे ही शहद मिला लें इसे चेहरे पर लगाने के १० मिनट बाद चेहरा धो लें। झुर्रियां दुर होकर चेहरे पर चमक आएगी।चेहरे पर बादाम के तेल की मालिश करने से आपकी चहरे के रोमकूप खुलते है।
शहद को त्वचा पर मलने से नमी नष्ट नही होती । तरबूजे के गूदे को चेहरे व गर्दन पर मलें । थोडी देर बाद इसे ठंडे पानी से धो लें । नियमित करने से चेहरे के दाग दूर होते हैं
तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमे बराबर मात्रा मे नीबूं का रस मिला कर लगाएं । चेहरे की झांईयां दूर होती है ।
चेहरे पर गुलाबी पन लाने के लिए नहाने से पहले कच्चे दूध मे निंबू का रस व नमक मिला कर मलें।पश्चात चेहरे को थपथपा कर सुखा लें झुर्रियां दुर होंगी।
चेहरे, गले व बांहों की त्वचा के लिए नीम की पत्ते व गुलाब के पंखुडियां समान मात्रा मे लेकर 4 गुना मात्रा पानी मे भीगो दें । सुबह इस पानी को इतना उबालें कि पानी एक तिहाई रह जाए । अब यदि पानी 100 मी ली हो, तो लाल चंदन का बारीक चूर्ण 10 ग्राम मिला कर घोल बनाएं व फ़्रिज मे रख दें । एक घंटे बाद इस पानी मे रुई डुबो कर चेहरे पर लगाएं । कुछ मिनट बाद रगड कर चेहरे की त्वचा साफ़ कर लें । अगर आंखों के नीचे काले घेरें हों तो सोते समय बादाम रोगन उंगली से आंखों के नीचे लगाएं और 5 मिनट तक उंगली से हल्के हल्के मलें । एक सप्ताह के प्रयोग से ही त्वचा में निखार आ जाता है और आंखों के नीचे के काले घेरें भी खत्म होते हैं ।
शहद मे ज़रा-सी हलदी मिला कर चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की मैल निकलने से चेहरा साफ व ताज़गी भरा बना रहेगा।
केले को मैश करके उस मे एक चम्मच दूध मिलाएं। इसे चेहरे पर लगा कर ठंडे पानी से छिंटे मारें। ऐसा १०-१५ मिनट करने के
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Wednesday, February 11, 2009
सौंदर्य के घरेलू नुस्खे
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रहीम दास के दोहें
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
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बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
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दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
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छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
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खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
------------------------------------------
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
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आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
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जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥
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खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥
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रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
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जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
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दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥
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बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
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रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥
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माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥
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मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥
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रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥
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रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥
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बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
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रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥
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वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
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बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
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रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
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बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
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दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
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छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
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खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
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एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
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आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
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जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥
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खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥
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रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
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जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
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दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥
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बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
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रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥
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माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥
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मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥
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रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥
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रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥
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बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
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रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥
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वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
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बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
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रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥
कबीर के अनमोल बोल
सो ब्राह्मण जो कहे ब्रहमगियान,
काजी से जाने रहमान
कहा कबीर कछु आन न कीजै,
राम नाम जपि लाहा लीजै।
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चलती चक्की देख के कबीर दिया रोय।
दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोय।।
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पोथी पढ़ी- पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोई।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।
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प्रेम न खेती उपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाय।
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जल में कुंभ कुंभ में जल है बाहरि भीतरि पानी।
फुटा कुंभ जल जलाहि समाना यहुतत कघैं गियानी।
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गुर गोविंद तौ एक है, दूजा यहू आकार।
आपा भेट जीवत मरै, तौ पावै करतार।।
काजी से जाने रहमान
कहा कबीर कछु आन न कीजै,
राम नाम जपि लाहा लीजै।
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चलती चक्की देख के कबीर दिया रोय।
दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोय।।
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पोथी पढ़ी- पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोई।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।
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प्रेम न खेती उपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाय।
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जल में कुंभ कुंभ में जल है बाहरि भीतरि पानी।
फुटा कुंभ जल जलाहि समाना यहुतत कघैं गियानी।
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गुर गोविंद तौ एक है, दूजा यहू आकार।
आपा भेट जीवत मरै, तौ पावै करतार।।
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