Tuesday, February 10, 2009

" हाय हाय ये आर्थिक मंदी "

चारो तरफ़ ये शोर है आर्थिक मंदी - आर्थिक मंदी , इस मंदी ने कितनी नौकरिया ख़त्म कर दी , कितनी कंपनिया बंद करा दी और कितने घर उजाड़ दिया , लेकिन यह रुकने का नाम नही ले रही है । कब रुकेगी यह क्या हर बार आर्थिक पॅकेज जारी कर देने से या रेपो रेट कम कर देने से यह रुकेगी, इस का जवाब कौन देगा हमारे नेता या हम । भाई झेलेंगे भी हम लोग और जवाब भी हम देंगे । क्योकि यह आम आदमी का जन्म सिद्ध अधिकार है । अगर इसे रोकना है तो सत्यम जैसी बोगस काम्पिनियो पर सरकार को कड़ी नज़र रखनी होगी ताकि आम आदमी के पैसे पर वह विदेश करोंडो की दूरबीन माँगा कर मंहगी घडिया पहन कर एशो आराम न कर पाए ताकि आम आदमी का पैसा सुरक्षित रहे तभी आम आदमी अपना भय खत्तम कर के शेयर बाज़ार में पैसा लगाये गा। विदेशी निवेशको को निवेश करने की कमी आजादी दी जाए लेकिन साथ ही उनपर कड़ी नज़र भी रखी जाए।
साथ साथ सरकार को आम आदमी को वित्तीय शिक्षा देने की भी व्यवस्थाकी जनि चाहिए ताकि वह सही ग़लत काम्पिनियो की पहचान कर सके चिट फंड काम्पिनियो में पासी लगाने से बच सके । कहने का लबेलुआब ( मुख्या उद्देश्य ) यह है की जिस किसी की कमी हमारे पास हो उस के अप्पव्य होने से रोका की जाहे वह आर्थिक मंदी ( पैसे की कमी ), कमी जाहे जिस वस्तु की हो उसे बचाया जाए जाहे वह पानी की समस्या हो , बिज़ली की समस्या हो या फिर पेट्रोल डीजल की बचाए .
आगे आप की मर्जी , मेरा क्या मेरा कम तो फालतू की बकवास लिखना है भाई ब्लॉग मेरा मर्जी मेरी ।

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