बिरला सन लाइफ ड्रीम प्लान
जैसा कि हमारे जीवन के के अनेक सपने होते है साथ ही साथ हमारे प्रियजनों के भी सपने भी होते है और हम सब अपने लिए और अपने प्रियजनों के सपनों को आकार देने और वास्तविकता के लिए सर्वोत्तम प्रयास करते है और इसके लिए बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी काम ड्रीम प्लान एक तरह से बेहतर योजना है. और हम इसी प्लान के ऊपर डालते एक नजर की क्या है इसमे जो आपके सपनो को पूरा करने की क्षमता रखता है .
आप और आप के प्रियजनों के सपनो को साकार करने के लिए जरूरत पड़ती है वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की और बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस ड्रीम प्लान की यह योजना आप और आप के अपनो के सपनों को प्राप्त करने के लिए आप को सक्षम बनाता है यह एक सोच समझकर तैयार की बचत योजना.
यह योजना आपके जीवन को सुरक्षित करने में मदद करता है साथ ही साथ आप के अपनों और प्रियजनों के भविष्य को भी सुरक्षित करता है.
यह एक दीर्घकालिक यूनिट लिंक्ड बीमा योजना है और साथ ही साथ भविष्य की गारंटी भी है.
आप को इस प्लान में भविष्य के शेयर बाज़ार के प्रदर्शन के ऊपर निर्भर नही रहना पड़ता है , आप पालसी लेते समय परिपक्वता पर एक न्यूनतम परिपक्वता राशि तय करते है और उसी के आधर पर निवेश करने का फैसला, आपको परिपक्वता समय पर आप के द्वारा चुनी हुई परिपक्वता राशि एवं आप के फंड द्वारा अर्जित की हुई राशि साथ ही साथ आको इसमे जीवन बीमा भी मिलता है अगर परिपक्वता अवधी से पूर्व बीमा धारक की मृत्यु हो जाती है उपलब्ध कोष एवं बीमा राशी दोनों प्राप्त होती है . इस योजना में आप अतरिक्त जीवन बीमा राशी को जोड़ सकते है जो बहुत ही न्यूनतम मृत्यु प्रभार देना होगा. यह प्लान आपको अस्वासन देती है की आप को अपनी जमा की हुई सकल धन राशी पर ३% से कम का फायदा नही होगा.
इस योजना को लेने के लिए कुछ मापदंड है जिन्हें जानना अति आवश्यक है:
न्यूनतम अवधी ५ वर्ष और अधिकतम अवधी २५ वर्ष.
यह योजना लेने के हेतु आप की आयु कम से कम १८ वर्ष और अधिक से अधिक ६० वर्ष की होनी चाहिए.
प्लान के परिपक्वता अवधी पर आपकी आयु ७५ वर्ष से अधिक नही होनी चाहिए.
आप निम्न ३ निश्चित परिपक्वता लाभ विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चुनाव कर सकते है
१. रु. 75.000 का 100% के लिए परिपक्वता विकल्प निश्चित.
२.रु. 37.500 का 200% के लिए परिपक्वता विकल्प निश्चित
३.रु. 25.000 का 300% के लिए परिपक्वता विकल्प निश्चित
इन्ही उपरोक्त तथ्यों के आधर पर आपकी निवेश राशी तय होती है।
तो इस प्लान को लेने से पहले आपको यह तय करना होगा की आप को अपने या अपनों के सपनो को पुरा करने के लिए कितनी रकम की आवश्यकत है और कितने वर्ष में वापसी चाहिए होगी.
दूसरा निश्चित परिपक्वता लाभ विकल्प को चुनिए
तीसरा निवेश कोष को चुनें जो निम्नलिखित है.
१. प्रोटेक्टर
२. बिल्डर
३. एन्हान्सर
प्रीमियम आबंटन शुल्क - शुन्य है
निधि प्रबंधन शुल्क - प्रत्येक निवेश कोष का दैनिक यूनिट मूल्य का योग कर निधि के मूल्य में प्रति वर्ष 1.0% की निधि प्रबंधन प्रभार को प्रतिबिंबित करने के लिए निकाला जाता है. यह प्रभार प्रोटेक्टर, बिल्डर और एन्हान्सर के लिए समान है लेकिन भविष्य में किसी भी समय इस शुल्क वृद्धि होसकती है जो अधिकतम १.५०% तक हो सकती है.
पॉलिसी प्रबंधन शुल्क - इस नीति के तहत प्रशासन शुल्क आपके द्वारा निवेश किए हुए फंड के अनुपात में इकाइयों कट कर या रद्द कर के मासिक प्रभार कटा जायेगा।
पॉलिसी समर्पण (सरेंडर) प्रभार - अगर आप पहले ३ वर्षो में पॉलिसी को समर्पण करते है तभी यह शुल्क आप से लिया जाएगा , ४ वर्ष के उपरांत कोई शुल्क नही है.
पुनरुद्धार प्रभार - पॉलिसी के पुनरुद्धार के लिए वर्तमान शुल्क रुपये १०० है. तथा भविष्य में किसी भी समय इस शुल्क में वृद्धि हो सकती है.
जो रुपये १००० अधिकतम हो सकती है.
अन्य पॉलिसी शुल्क - आप हर पॉलिसी साल में दोबार निधि (फंड) को बदल (स्विच) सकते है , दोबार आंशिक (पर्सियल) निकासी (विथ्द्रवाल्स) और दो प्रीमियम पुनः निर्देशन (रिडाइरेक्सन) मुफ्त (निःशुल्क) कर सकते है इस पर आप से कोई शुल्क नही लय जायेगा , अगर इस से अतिरिक्त कोई भी निवेदन करते है तो उसपर रूपये १०० का शुल्क प्रति आवेदन पर डे होगा यह भविष्य में बढ़ सकता है जो अधिकतम रु. ५०० तक हो सकती है।
मृत्यु प्रभार - हर महीने कंपनी मौत को कवर करने के लिए मृत्यु प्रभार काटती है जिसकी जानकारी आप कंपनी के बीमा सलाहकार ,कंपनी के ब्रोशेर या कंपनी की वेब साईट पर कर सकते है .
अतरिक्त सुरक्ष कवच (कवर) प्रभार - अगर आप कोई अतरिक्त सुरक्ष कवच लेते है जैसे दुर्घटना में मृत्यु व बहिष्कार लाभ कवच अर्थात यह कवर दुर्घटना की वजह से मौत के मामले में एक से अधिक अंग की हानि, दोनों आंखों में दृष्टि की हानि, या एक अंग और एक दृष्टि की हानि के मामले में १००% कवर देता है तथा एक दृष्टि या एक अंग खोने के मामले में ५०% का कवर देता है . इस के लिए आप को अलग से प्रभार देना होगा . जिसकी अधिक जानकारी आप कंपनी के बीमा सलाहकार ,कंपनी के ब्रोशेर या कंपनी की वेब साईट पर कर सकते है ।
इस फायदे योजना को लेना का फायदा
आपकी आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना होने पर।
जीवन और मृत्यु एक शाश्वत सत्य है , यह किसी को भी नही छोड़ती है अगर इस तरह का कोई भी हादसा आपके साथ होता है तो इस प्रसंग में आपके बच्चों या नामित व्यक्ति को बिमा राशी एन्हांस्ड बिमा राशी एवं फंड वैल्यू या गारेंटी शुदा राशी में से जो भी ज्याद होगा वह आप को प्राप्त होगा ।
परिपक्वता अवधी पर ।
परिपक्वता अवधी पर आप को न्यूनतम गारेंटीडराशी या फंड वैल्यू में से जो भी ज्याद होगा वह प्राप्त होगा।
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Thursday, February 12, 2009
आप और आप का सपना ...
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रहीम दास के दोहें
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
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बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
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दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
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छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
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खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
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एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
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आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
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जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥
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खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥
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रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
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जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
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दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥
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बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
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रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥
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माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥
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मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥
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रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥
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रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥
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बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
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रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥
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वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
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बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
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रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
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बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
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दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
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छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
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खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
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एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
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आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
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जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥
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खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥
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रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
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जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
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दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥
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बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
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रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥
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माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥
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मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥
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रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥
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रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥
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बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
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रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥
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वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
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बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
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रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥
कबीर के अनमोल बोल
सो ब्राह्मण जो कहे ब्रहमगियान,
काजी से जाने रहमान
कहा कबीर कछु आन न कीजै,
राम नाम जपि लाहा लीजै।
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चलती चक्की देख के कबीर दिया रोय।
दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोय।।
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पोथी पढ़ी- पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोई।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।
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प्रेम न खेती उपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाय।
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जल में कुंभ कुंभ में जल है बाहरि भीतरि पानी।
फुटा कुंभ जल जलाहि समाना यहुतत कघैं गियानी।
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गुर गोविंद तौ एक है, दूजा यहू आकार।
आपा भेट जीवत मरै, तौ पावै करतार।।
काजी से जाने रहमान
कहा कबीर कछु आन न कीजै,
राम नाम जपि लाहा लीजै।
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चलती चक्की देख के कबीर दिया रोय।
दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोय।।
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पोथी पढ़ी- पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोई।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।
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प्रेम न खेती उपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाय।
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जल में कुंभ कुंभ में जल है बाहरि भीतरि पानी।
फुटा कुंभ जल जलाहि समाना यहुतत कघैं गियानी।
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गुर गोविंद तौ एक है, दूजा यहू आकार।
आपा भेट जीवत मरै, तौ पावै करतार।।
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