Tuesday, February 10, 2009

देश नेता और मंहगाई

नेता का भरोसा मंहगाई का ठिकाना
हम देशवासी आज जिन दो कष्टों से परेसान है वो है नेता और मंहगाई नेता हर दिन नए वादे करते और मंहगाई हर रोज़ बढ़ती है , वैसे देखा जाये तो दोनों में काफी समानताये है और दोनों एक दूसरे के पूरक भी ये दोनों एक दूसरे के बिना नहीं पनप सकते है ठीक उसी तरह जैसे आगा में पेट्रोल डालने से आग भड़कती है वैसे हर नये नेता के सांसद या विधायक बनने से मंहगाई, वैसे तो आज कल आर्थिक मंदी का एक अच्छा बहाना है अरे भाई ये ग्लोबल परेशानी है केवल हमारे भारत की ही नहीं । लेकिन क्या यह सच है, और अगर है तो कितना ? मंहगाई दूर करने के नाम पर हर रोज एक सम्मलेन तो कभी प्रेस कॉफ्रेंस लेकिन मंहगाई है की रोज सुरसा की तरह अपने मुंह को बढाये जा रही है, और ये नेता लोग क्या कर रहे , ये आम आदमी को उसके मुंह में डाले जा रहे है डाले जा रहे है ।
आम आदमी तो बेचारा आलू और प्याज़ के चक्कर में चक्करघिनी के तरह नाचे जा रहा है और ये नेता लोग कुम्भकर्ण की नीद सो रहे है।
भाई मै तो ब्लॉग पर फालतू की बकवास लिखे जा रहा हूँ , लेकिन क्या करे अपना तो दिमांग मंहगाई को सम्हालते सम्हालते थक गया है। आप कंहेगे की नेता को नहीं आम आदमी को आगे आना चाहिए उसे इससे निपटाना होगा
लेकिन आम आदमी कैसे निपटे निपटने के लिए भी पैसा चाहिए जो नेताओ के पास है आम आदमी के पास नहीं । तो अब आप कंहेंगे की सही जन प्रतिनिधि को चुनिए तो भला क्या ये इतना आसन काम है , अगर भला आदमी है तो राजनीत में आयेगा नहीं और अगर आ भी गया तो किसी पार्टी का टिकट नहीं मिलेगा और अगर टिकट मिल भी गया तो जीतेगा नहीं। क्योकि यंहा भी पैसा चाहिए और आम आदमी घर चलाये या चुनाव लड़े, तो कहने का सारा मतलब यह है की जो कुछ है वह हमरे देश के बुढे गिद्ध नेताओ के हाथ में है, भाई अगर मेरी बात किसी को बुरा लगे तो लगे , कोई बात नहीं हम आजाद है यंहा स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की आजादी है नेताओ की तरह रोज़ अपनी जुबान से फिर जाने की आजादी है और रोज शेयर बाज़ार के सांड की तरह से बढ़ती मंहगाई को झेलने की आजादी है (लेकिन रोकने वाला कोई भालू नहीं है )। इस तरह का है अपना देश, लोग आज कल यह कह रहे है की भारत का ओबामा कौन है राहुल बाबा , उमर अब्दुला या फिर कोई और भाई मुझे यह तो नहीं पता, लेकिन यंहा का ओसामा बिन लादेन और अल कायदा कौन है ? तो यह मै बता सकता हूँ , और अब आप सोचने लगे होंगे के कंही मुम्बई पर अटैक करने वाले आतंकवादी तो नहीं , अरे नहीं भाई हमारा ओसामा है मंहगाई और अल कायदा है यंहा के भ्रष्ट राजनेता जिनका दंश हमें रोज़ झेलना पड़ता है।

मेरे इस बकवास पर आप अपने सुझाव जरूर दे ताकि मै कोई और बेकार की बकवास सोच सकू।

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