Friday, January 9, 2009

मधुमेह : चिकित्सा और परहेज

यदि रोगी दुबला-पतला है तो उसे थोड़ी ज्यादा कैलोरीज की जरूरत होगी यानी मोटे व्यक्ति की अपेक्षा 10 कैलोरी प्रति किलो ज्यादा कैलोरीज। यदि रोगी सामान्य शरीर का हो यानी न ज्यादा मोटा और न ज्यादा दुबला-पतला को मध्यम मात्रा यानी 5 कैलोरी प्रति किलो, मोटे व्यक्ति वाली मात्रा से ज्यादा और दुबले व्यक्ति वाली मात्रा से कम मात्रा में कैलोरी मिलना पर्याप्त होगा।

आज की व्यस्त और दौड़-धूपभरी दिनचर्या में फँसे व्यक्ति के लिए यह ख्‍याल रखना बहुत मुश्किल है कि दिनभर में उसे कितनी कैलोरीज वाला आहार लेना है और कितनी कैलोरीज वाला ले रहा है। यह जानने के लिए एक चार्ट रखें, जिसमें सभी खाद्य पदार्थों के नाम हों तथा उनके आगे कैलोरी की मात्रा अंकित हो।

सन्तुलित आहार के आंकड़ों को अगर रोगी समझ न सकें तो इतना ही जान-समझ लें कि उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, कितनी मात्रा में खाना चाहिए तो भी उसका काम मजे से चल सकता है। हम ऐसी ही आवश्यक और उपयोगी जानकारी सन्तुलित और पथ्य आहार के विषय में यहां प्रस्तुत कर रहे हैं, जिस पर अमल करना मुश्किल नहीं होगा। मन वश में हो, सन्तुलित और उचित आहार-विहार किया जाए, व्यायाम या योगासनों का अभ्यास किया जाए तो मधुमेह रोग से ग्रस्त होने का सवाल ही पैदा न हो।

घरेलू चिकित्सा

1. बेल के ताजे हरे पत्तों का रस 2-2 चम्मच सुबह-शाम पीना चाहिए। यह रस मिक्सर या ज्यूसर में पत्ते डालकर निकाला जा सकता है या सिल पर पानी के छींटे मारकर कूट-पीसकर, मोटे कपड़े से निचोड़ कर निकाला जा सकता है। यह बहुत गुणकारी प्रयोग है।

2. पलाश (ढाक) के फूलों का रस आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम पीना चाहिए। यह भी उत्तम प्रयोग है।

3. गुड़मार 80 ग्राम, बिनोले की मिंगी और जामुन की गुठली 40-40 ग्राम, बेल के सूखे पत्ते 60 ग्राम, नीम की सूखी पत्तियाँ 20 ग्राम। सबको कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें। इसे आधा-आधा चम्मच मात्रा में सुबह-शाम भोजन करने से एक घण्टे पहले ठण्डे पानी के साथ फाँक लेना चाहिए। यह योग यकृत और अग्न्याशय को बल प्रदान कर उनके विकार नष्ट करता है, मूत्र में आने वाली शर्करा को रोकता है और रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सामान्य मात्रा में रखता है। यह योग 'मधुमेह दमन चूर्ण' के नाम से बना-बनाया बाजार में भी मिलता है। यह परीक्षित है।

4. पिसी हल्दी आधा चम्मच और सूखे आंवलों का चूर्ण 1 चम्मच-सुबह शाम पानी के साथ सेवन करते रहने से पेंक्रियाज (अग्न्याशय) को बल मिलता है, जिससे इन्सुलिन नामक हार्मोन उचित मात्रा में बनता रहता है और रक्त शर्करा सामान्य मात्रा मे बनी रहती है। यह प्रयोग स्वस्थ व्यक्ति भी करे तो मधुमेह रोग के आक्रमण से बचा रह सकता है।

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